Today the story of Haryana's political future will be written

Editorial:आज हरियाणा के राजनीतिक भविष्य की लिखी जाएगी दास्तां

Edit1

Today the story of Haryana's political future will be written

Today the story of Haryana's political future will be written: हरियाणा विधानसभा के लिए आज मतदान होने जा रहा है। इस बार प्रदेश की सभी 90 सीटों पर बेहद कड़े मुकाबले के आसार हैं। हालांकि मतदान की दृष्टि से प्रदेश में जिस प्रकार की शांति-व्यवस्था प्रचार के दौरान बनी रही है, संभव है वैसी ही मतदान के दौरान भी कायम रहे। चुनाव आयोग ने प्रदेश में शांतिपूर्वक और व्यवस्थित तरीके से चुनाव के लिए सभी प्रबंध पूरे किए हैं। निश्चित रूप से इस बार के चुनाव परिणामों का सांसें रोक कर इंतजार किया जाएगा।

क्योंकि इस बार जैसा चुनावी महाभारत हुआ है, वह अपने आप में आश्चर्यचकित करने वाला भी है। इस चुनाव में अनेक समीकरण बने और बिगड़े हैं। पार्टियों के अनेक बड़े नेता इधर से उधर होते रहे हैं और आखिर में वे अपने मूल स्थान पर भी लौट आए हैं। भाजपा-कांग्रेस में बागियों की बहार है और भाजपा ने तो बागी हुए नेताओं को बाहर का रास्ता भी दिखाया है। जाहिर है, यह सब राजनीति का हिस्सा है।

हालांकि इस बार जो भी राजनीतिक दल चुनाव जीतकर सत्ता में आएगा, उसके समक्ष अपने चुनावी घोषणा पत्र को अमल में लाना अहम चुनौती होगी। सभी राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसे-ऐसे वादे किए हैं, जिन्हें पूरा करते समय प्रदेश के खजाने पर भारी दबाव आना तय है।

गौरतलब है कि महिलाओं को लाडो लक्ष्मी योजना के तहत 2100 रुपये देने की योजना का ऐलान करने से भाजपा भी खुद को रोक नहीं सकी है। यह योजना उसी प्रकार की है, जैसे कि पंजाब में आम आदमी पार्टी ने की थी, लेकिन उसे अभी तक अमलीजामा नहीं पहना सकी है। वहीं हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने भी इसी वादे के साथ चुनाव लड़ा और जीता था, लेकिन इस समय कांग्रेस सरकार के समक्ष कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़े हुए हैं, तब वह महिलाओं से किए वादे को कहां से पूरा करे। अब हरियाणा में कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में महिलाओं को 2 हजार रुपये प्रतिमाह और 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का ऐलान कर रखा है। पार्टी इसके अलावा 100 गज के मुफ्त प्लॉट के साथ मकान बनाकर भी देगी।

भाजपा ने भी 25 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज, हर घर गृहिणी योजना के तहत 500 रुपये में गैस सिलेंडर, अव्वल बालिका योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में कॉलेज जाने वाली प्रत्येक छात्रा को स्कूटर देने की घोषणा की है। पार्टी की ओर से और भी ऐलान किए गए हैं, लेकिन वे ऐलान ऐसे हैं, जिनके अमल में आने के बाद आर्थिकी को बल मिलेगा और रोजगार के संसाधन विकसित होंगे। हालांकि कांग्रेस की ओर से बुढ़ापा पेंशन को बढ़ाकर 6 हजार रुपये करने की घोषणा की गई है, इसके अलावा अन्य सामाजिक पेंशनों में भी बढ़ोतरी की बात कही गई है। भाजपा ने भी अपने शासनकाल में बुढ़ापा पेंशन में बढ़ोतरी की थी और अब उसे और बढ़ाने का ऐलान किया गया है, लेकिन कांग्रेस की ओर से तो इसे सीधे छह हजार रुपये करने का वादा किया गया है। यह अपने आप में बड़ी रकम है।

गौरतलब है कि 2 करोड़ 86 लाख की आबादी वाले हरियाणा पर इस समय 3 लाख 17 हजार 982 करोड़ रुपये की देनदारी है। यहां जन्म लेने वाले प्रत्येक शिशु पर 1 लाख 11 हजार रुपये का कर्ज होता है। ऐसी घोषणाओं को करके जो भी पार्टी सत्ता में आती है, तो उसके समक्ष इन ऐलानों को पूरा करने की चुनौती होगी, वहीं इसके लिए फंड जुटाने की चुनौती भी बहुत बड़ी होगी। वादे पूरे कर दिए गए तो यह राज्य की अर्थव्यवस्था पर बहुत भारी पड़ने वाला है। इसकी संभावना से कौन इनकार कर सकेगा कि अगर ऐसा हुआ तो राज्य में ही चीज के दाम बढ़ेंगे, टैक्सों में बढ़ोतरी होगी और जिस महंगाई का रोना रोया जा रहा है, वह और सुरसा की तरह मुंह खोलेगी।

वैसे, यह मसला चुनाव आयोग की नजरों में है। आयोग की ओर से पहले ही राजनीतिक दलों को इस संदर्भ में लिखा जा चुका है कि राजनीतिक दल अपनी घोषणाओं के एवज में यह भी बताएं कि उनके लिए फंड कहां से आएगा। अब बेशक, किसी भी राजनीतिक दल ने अभी तक यह बताना जरूरी नहीं समझा है कि आखिर खर्च की पूर्ति कैसे की जाएगी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी  लिए लंबित है। मांग की गई थी कि लोकलुभावन वादों पर लगाम कसी जाए। वैसे, यह आवश्यक है कि देश में चुनावों के सुधारीकरण के दौरान ऐसी घोषणाओं पर पूरी तरह से रोक लगे। मतदान से पहले सभी राजनीतिक दलों ने जिस प्रकार के विज्ञापन जारी किए हैं, वे भी इसकी बानगी हैं कि चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दल कुछ भी करने को तैयार हैं, लेकिन मतदाता को देखना है कि सर्वहित में काम हो और स्थायी विकास हो। इस बार के चुनाव में जो मुद्दे रहे हैं, इसका प्रयास होना चाहिए कि वे अगले चुनाव तक पूरी तरह समाप्त हो जाएं। 

यह भी पढ़ें:

Editorial:हरियाणा के मतदाता की सोच ही ले जाएगी प्रदेश को आगे

Editorial: बांग्लादेश में हिंदू समाज को धार्मिक आजादी मिलनी जरूरी

Editorial: तो तिरुपति बाला जी मंदिर को बनाया राजनीति का माध्यम